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Category: पहाड़ी कविता

पहाड़ी कविता

April 19, 2018 bharatkakhajana

जे चाहे सैह् ठौकर करदा/नंद किशोर परिमल

जे चाहे सैह् ठौकर करदा माह्णु कोई, कदी वी किछ करी नीं सकदा। जे करदा सैह् इक ठौकर करदा। माह्णु

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April 13, 2018 bharatkakhajana

बणदी गल्ल बनाणां /विजयी भरत दीक्षित

गल़सोहे बणदी गल्ल बनाणां चाहिदी पौणां नीं देणां चाहिदा खोट होए हवा जिस पास्सें चलियो तिस पास्सें पिट्ठ करि देणीं

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April 13, 2018 bharatkakhajana

जळी जायाँ तूँ वे सड़के/जग्गू नोरिया

जळी जायाँ तूँ वे सड़के, तैं वो मेरे लाल मुकाये हो, चौनी पासयाँ तेरे थू थू होये हो, तैं ताँ

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April 3, 2018 bharatkakhajana

उतरें सिर कदी नी सौणा/सुरेश भारद्वाज निराश

उतरें सिर कदी नी सौणा दिनें सुत्याँ कितणा क सौणा राती निंद्रा टैमे दिया औणा सारी रात मै बखियाँ बदलां

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March 31, 2018 bharatkakhajana

पहाड़ी कविता/जग्गू नोरिया

काँगड़ी बुरे हाल लोकाँ दे, चोर चक्के हथ मारदे, राज होये जालू डरपोकाँ दे, सरकारी जमीन टप्परू बनाये, पीन्दे खून

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March 30, 2018 bharatkakhajana

हत्थां ते मच्छी/नवीन हलदूणवी

नवीन हलदूणवी हत्थां ते मच्छी ऐ छुड़की , सब्बो पेदे इत्थू दुड़की l कौरू – पांडू देन दलीलां , भाग

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March 22, 2018 bharatkakhajana

पहाड़ी कविता/नवीन हलदूणवी

. नवीन हलदूणवी खाणा–लाणा टबरे जो , कुण पुच्छा दा जबरे जो? दुनियां बड़ी कपत्ती ऐ , सबर कुथू वेसबरे

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March 17, 2018 bharatkakhajana

म्हारे जमाने री करंसी/नंद किशोर परिमल

म्हारे जमाने री करंसी औआ मुन्नुओं पुराणे जमाने रिया करंसिआ रे करिश्मे सुणांदा। साढ़े टैमें धेला, पैसा (डव्वल़), था चल्लदा।

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March 11, 2018 bharatkakhajana

पहाड़ी कविताएं/नवीन हलदूणवी

नवीन हलदूणवी  मुन्नू खूब गराड़ी कुसजो के दसणा , दिंदे लोक लताड़ी कुसजो के दसणा ? दंगेई  –  गल़दूत्त  गणैड्डे

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March 10, 2018 bharatkakhajana

कुथू गैऐ सैह् धिआड़े/नंद किशोर परिमल

कुथू गैऐ सैह् धिआड़े) सैह् धिआड़े कुथू गैऐ, दरियाएं गाह्णे जांदे थे। सिआल़ा जाह्लु औंदा था, जाई छाड़ां पांदे थे।

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