काल्हू जप्पगा/नवीन हलदूणवी
“काल्हू जप्पगा” नवीन हलदूणवी औंदिया मलांमता जो कुण ठप्पगा ? राम – नाम संसार...
Read Moreby bharatkakhajana | Jun 30, 2019 | पहाड़ी कविता | 0 |
“काल्हू जप्पगा” नवीन हलदूणवी औंदिया मलांमता जो कुण ठप्पगा ? राम – नाम संसार...
Read Moreby bharatkakhajana | Jun 22, 2019 | पहाड़ी कविता | 0 |
. नवीन हलदूणवी मत कराओ भड्डी जी , प्हाड़ी भास्सा बड्डी जी। दाज कमीन्ना मंग्गा दा , तोप्पै...
Read Moreby bharatkakhajana | Jun 21, 2019 | पहाड़ी कविता | 0 |
(५६)गीत /ग़ज़ल नवीन हलदूणवी मेरे प्यारे जग्गू जी, नीं जुड़दा ऐ झग्गू जी। स्हाकी खूब जुआड़ा दे,...
Read Moreby bharatkakhajana | Feb 24, 2019 | पहाड़ी कविता | 0 |
जय हो गूगा बाबा लेयां आई अज्ज भनाह्ड़ियां। भगत खड़ोते तेरे द्वारे सुणयां अरजां...
Read Moreby bharatkakhajana | Jan 9, 2019 | पहाड़ी कविता | 0 |
“सोच” थी पचुआड़ें खूब घटोई। चाःदरुये बिच डूड दबोई।। बुसकी डुसकी गळ गळचुट्टू। मैं...
Read Moreby bharatkakhajana | Jan 9, 2019 | पहाड़ी कविता | 0 |
पहाड़ी कविता माड़ा मोट्टा माप्पी जा , हौल़ैं — हौल़ैं छाप्पी जा । फुल्ल बगान्ना भोरी जी ,...
Read Moreby bharatkakhajana | Dec 16, 2018 | पहाड़ी कविता | 1 |
रटैर मैं रटैर होईया ऐह लग्गा नी करदा, मैं दफतर नी जाणा लग्गा नी करदा । मैं रात्ती खूब निन्दर भरी...
Read Moreby bharatkakhajana | Nov 23, 2018 | पहाड़ी कविता | 0 |
अक्कड़ बक्कड़ पांबड़ पौ अक्कड़ बक्कड़ पांबड़ पौ, जे सुत्तेया तां जागी पौ । जागेया ऐं तां दौड़ तू माणुआ,...
Read Moreby bharatkakhajana | Nov 9, 2018 | पहाड़ी कविता | 0 |
लक्ख टके री गल्ल गल्ल लक्ख टके री मन्नणी मित्तरा, गल्ल कुसी री अध्बिचकारें कट्टणी नीं। दैई न्नै...
Read Moreby bharatkakhajana | Sep 30, 2018 | पहाड़ी कविता | 0 |
सरकार बड़ी ऐ लुट्टा दी जनता दा दम घुट्टा दी, ज़ोर जबर दे हुक्मां जो, लोकां उप्पर सुट्टा दी, उवाज़...
Read Moreby bharatkakhajana | Sep 30, 2018 | पहाड़ी कविता | 0 |
लक्ख टके री गल्ल गल्ल लक्ख टके री मन्नणी मित्तरा, गल्ल कुसी री अध्बिचकारें कट्टणी नीं। दैई न्नै...
Read Moreby bharatkakhajana | Aug 7, 2018 | पहाड़ी कविता | 1 |
सुण मित्रा मेरेया अजकल तू मित्रा मेरेया कैह ईह्या इ दुड़कदा रैंह्दा मन तेरा नी ऐं ठकाणे कजो तां...
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