गैरों से दिल लगाना/सुरेश भारद्वाज निराश
ग़ज़ल गैरों से दिल लगाना तू छोड़ दे अपनों से दूर जाना तू छोड़ दे दिल तेरा तो अमानत किसी की है याद रखले...
Read MorePosted by bharatkakhajana | Jan 6, 2019 | ग़ज़ल |
ग़ज़ल गैरों से दिल लगाना तू छोड़ दे अपनों से दूर जाना तू छोड़ दे दिल तेरा तो अमानत किसी की है याद रखले...
Read MorePosted by bharatkakhajana | Dec 25, 2018 | व्यक्तित्व |
भारत रत्न अटल जी को शत शत नमन आज से ठीक 94 साल पहले 25 दिसंबर 1924 को भारत देश के मध्यप्रदेश के...
Read MorePosted by bharatkakhajana | Dec 16, 2018 | कविताएं |
मुक़द्दर समझना ” बुढापा क़रीब आ जाये तो, मुक़द्दर समझना। केस उजला लहराये तो,मुक़द्दर समझना।।...
Read MorePosted by bharatkakhajana | Dec 16, 2018 | कविताएं |
रोज़ नहीं आते है रोज़ नहीं आते वो लोग जो समाज को आईना दिखा कर जो जाते हैं *** कितने बार वो मिटे...
Read MorePosted by bharatkakhajana | Dec 16, 2018 | पहाड़ी कविता |
रटैर मैं रटैर होईया ऐह लग्गा नी करदा, मैं दफतर नी जाणा लग्गा नी करदा । मैं रात्ती खूब निन्दर भरी...
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