सरकारी तंत्र
हम जागते हैं, सब कुछ लुट जाने के बाद।
लकीर ही पीटते रहते हैं, मर जाने के बाद।
आगे बढ़ने वाले पहले योजना बनाते,
बाद में किसी भी नये काम की शुरुआत करते।
लेकिन हम पहले हैं नये बांध बनाते,
फिर योजनाएं बनाते शतक बीत जाने के बाद।
सरकारी महकमें बने आज सफेद हाथी,
दफ्तर में बैठकर बड़ी बड़ी बातें बनाएं।
धरातल पर देखें तो मिले कुछ भी नहीं,
कमरे में बैठकर ढींगें बड़ी बड़ी हांकते जाएं।
एक दूसरे पर दोष अपना मढ़ने में चतुर बहुत हैं हम।
विकास की बातें करें बहुत, हकीकत यह कि देश का नहीं है गम।
जब तक हमें कथनी और करनी का एहसास नहीं होगा।
कोई विकास कार्य भारत का तब तक, कभी पूरा नहीं होगा।
समय बध्द योजना हो, चरणबद्ध कार्य हो,तभी देश बढ़े आगे।
अन्यथा सब बेकार है, खजाना देश का खाली हो गया होगा।
सरकारी तंत्र पर निर्भर बहुत कुछ आगे बढ़ने को है करता।
हर विभाग की जिम्मेदारी तय हो, तभी विकास आगे है बढ़ सकता।
किसी कीमत पर कोई लिहाज न हो, समय जरा सा भी बर्बाद न हो।
अपना कर्तव्य सभी समझें, तभी देश में राम राज्य है आ सकता।
काम यह एक का नहीं, हम सब मिलकर बात आज यह सोचें।
देश के लिए मर मिटने की, फिराक आज हम सबमें हो।
अन्यथा पाकिस्तान सम, पिछड़ने में देर है नहीं लगती।
कर्तव्य विमुख न हों हम कभी, परिमल तभी बढ़े देश की शक्ति।
नंद किशोर परिमल, से. नि. प्रधानाचार्य
गांव व डा, गुलेर, तह. देहरा (कांगड़ा) हि. प्र
पिन 176033, संपर्क 9418187358
shi baat mhody ji
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