ग़ज़ल
212 212 21 2 212
साथ तेरा जो छूटा तो मर जायेंगे
तेरे बिन हम भी यूँ ही विखर जायेंगे
तुमको पाना तो था मेरे बस में नहीं
मिल सके जो न तुम तो किधर जायेंगे
मेरी किस्मत का है खेल यह जान लो
तेरे बिन जीने से हम तो डर जायेंगे
रास्ते सारे लगता है अब बंद हैं
हम अकेले बता किस डगर जायेंगे
क्या बतायें हैं कितने दुखी यार हम
अक्स तेरा दिखेगा जिधर जायेंगे
जो गले से न तुम ने लगाया हमें
विन तेरे हम “निराश” किसके घर जायेंगे
सुरेश भारद्वाज निराश
9805385225
वाह.. बहुत खूब