??? नई सुबह ???
उषाकाल में सूरज आता
मुस्काता खुशियाँ बिखराता
इच्छा शक्ति औ स्फूर्ति बढ़ाता
जगमग जग सुन्दर कर जाता ।।
चह -चहाते सब पक्षी प्यारे
टिमटिमाते सब छुप जाएं तारे
चंदा को मुख मोड़ना पड़ता
अंधकार भी डर कर भगता
जब सूर्य निकलने को आता है
वह सबके मन को भाता है
नया जोश और नई जवानी
तम हटने पर पाते प्रा णी ।।
अपने कार्यों में हों व्यस्त
पशु पक्षी नर नारी समस्त
सुबह सभी को अच्छी लगती
जग मग जग जग जाने पे करती
मेहनत कर जो खाते हैं
सर्वोच्च स्थान वह पाते हैं
जो ” भरत” समय को खोते हैं
हम बहुत नहीं कुछ खोते हैं ।।
स्वरचित मौलिक
विजयी भरत दीक्षित
सुजानपुर टिहरा (हि.प्र.)
9625141903
“सरस्वती वन्दना”
वीणावादिनी वर दे,
हर अज्ञान ज्ञानवान कर दे।
विद्यादायिनी हंसवाहिनी
वाक्स्वामिनी जगद्व्यापिनी।
ब्रह्मा विष्णु जिसकी करें स्तुति,
कमलासना अभयदात्री सरस्वती।।
वीणावादिनी वर……
ज्ञान विज्ञान मां तुम से पाएं,
हर पल तुमको मन से ध्याएँ।
श्रद्धा देना भक्ति देना,
अवगुण सारे मां हर लेना।।
वीणावादिनी वर दे…..
सुर की देवी तू ही शारदा,
दुर्मति नाशिनी तू ही बुद्धिदा।
बुद्धि देना विद्या देना,
निर्मल मन मति मां कर देना।
वीणावादिनी वर दे…..
अक्षर पद मात्रा यदि टूटे,
देव महेश विशेष जो छूटे।
“भरत” क्षमा मांगे कर देना,
नीरस में मां रस भर देना।।
वीणावादिनी वर दे…..
स्वरचित मौलिक
विजयी भरत दीक्षित
सुजानपुर टीहरा (हि.प्र.)
9625141903
Bahut badeaa guru dev