रुला दिया
ख़ामोशियों ने रुला दिया ।
ख़ुदा ये कैसी सजा दिया ।।
वो शोर लगता सितार था ।
अब जैसे यतीम बना दिया ।।
तनहा उमर कटती नहीं ।
किस बात का बदला लिया ।।
ग़ुमसुम से अब रहने लगे ।
अब मुस्कुराना भुला दिया ।।
चुप सी घर की दीवार है ।
उदास घर का लगे दिया ।।
हम जितने उनके क़रीब थे ।
उतने अदब से भुला दिया ।।
पं अनिल
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