कितना अच्छा होता
कितना अच्छा होता
दिल दो होता
एक रूठ जाये
दुसरा तो साथ देता
बड़ी दुनियाँ में
छोटी जिंदगी
फिर भी गिले शिकवे
लड़ाई झगड़े
कितना अच्छा होता
दिल दो होता
एक से लड़ते तो दुसरा
समझाता
भाव विचार एक के अलग होता
दूसरे से मेल करता
काश ऐसा भी होता
शायद दुनियाँ में अमन शाँति तो होता
राम भगत किन्नौर
9816832143
कहाँ गये वो हमारे बच्चपन
कँहा गये आज वो हमारे बच्चपन के दिन
खेल खिलौने और मौज मस्ती के दिन
सहेलियों संग पानी भरना
घर आकर आँगन में फ़िर खेलना
माँ बापू के आते ही सारा प्यार लूटना
नाना नानी दादा दादी के संग खेल खेलना
कँहा गये आज वो हमारे बच्चपन के दिन
सगे सम्बन्धी और दोस्त अब गूगल फ़ेसबुक व्हाट्सअप में है
पापा दोस्तों संग पार्टी में व्यस्त
मम्मी टीवी सीरियल में व्यस्त
नाना नानी दादा दादी खुद लाचार
उनको दो वक्त की रोटी में मिले सूखा रोटी और आचार
नये ज़माने के तौर सब सीखो
अब दोस्ती कंप्यूटर और मोबाइल है
बाते अब व्हाट्स अप और फ़ेसबुक से होगी
संस्कार अब गूगल देगा नाना नानी ना दादा दादी बँद
कँहा गये वो हमारे बच्चपन के दिन
राम भगत
माटी में मिलना है
सुनो दिल की करो मन की
कोई स्थाई तो नहीं है दुनियाँ में
तेरा वजूद मेरा वजूद
सारा जहां सिर्फ माटी में मिलना है
देर सवेर ही सही कोने कोने में
इंसान को एक दिन माटी में ही मिलना है
फिर तेरा क्या मेरा क्या
गर्म क्या ठंडा क्या
अपना क्या पराया क्या
सब छोड़ माटी में ही मिलना है
फिर ये अभिमान किस लिये
फिर मेरा सिर्फ मेरा किस लिये
ये मैं मेरा कुछ नहीं है यहां तेरा
छोटा ख्वाब सिर्फ जीने के लिये
जब तक जीना है इंसान प्यार मुहब्बत में जी
यहीँ से स्वर्ग के द्वारा खुले है
राम भगत किन्नौर
9816832143
कितनी आसानी से
कितनी आसानी से
रिश्ते बेगाने होते है
कितनी आसानी से लोग
अपनों से दूर होते है
कल तक जो सपने दिखाते थे
आज वही सपनें बन जाते है
भरोसा करना तो दूर
पास आने से अब कतराते है
वो कसमें वो वादे इंसान के
सिर्फ झोली तक ही थी
कितनी आसानी से
हवा आज बहने लगी सामने से
ना डाली हिला ना पत्ता गिरा
ना धूल उड़ा ना नुकसान हुवा
वो मुस्कराये और चल दिये
जिंदगी की फलसफा को एक मजाक बना कर
राम भगत किन्नौर
9816832143
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