“शिव भोले”
वास कैलाश करो शिव भोले।
मस्तक चंद्र धरो शिव भोले।।
अर्धनिमीलित चक्षु तुम्हारे।
भक्तन पीड़ हरो शिव भोले।।
डिमक डिमक डम डमरू बाजे।
“अइउण” सूत्र झरो शिव भोले।।
शूल त्रिशूल त्रिताप विनाशक।
शाप सँताप टरो शिव भोले।।
शेष भुजंग गले लिपटाये।
काल ब्याल डरो शिव भोले।।
गंग तरंग जटा झरवायें।
ज्ञान विज्ञान सरो शिव भोले।।
गणपत गौर विराजत संगा।
राग विराग हरो शिव भोले।।
वाहन नंदित मोदित नंदी।
आनंद मना सिमरो शिव भोले।।
मंत्र त्र्यम्बक रटत् मन मेरा।
भवभय दूर करो शिव भोले।।
बाल ‘नवीन’ महा मतिमंदी।
महाशिवरात तरो शिव भोले।।
नवीन शर्मा
गुलेर-कांगड़ा
१७६०३३
📞९७८०९५८७४३
अन्य कविताएं शिवरात्रि के उप्लक्षय पर
पढ़िये इस शिव मंदिर की अदभुत कथा