”सिवरात“
बम भोळे जय भूत बरात।
जय सिव संकर जय सिवरात।।
सिवजी आये गौरां पास।
जय सिव संकर जय सिवरात।।
नच्चण कुद्दण भूत पठंगी।
भगत प्यारे मस्त मलंगी।।
पूंछ हिलाये वाहन नंदी।
मेरे भोळे दा सत्संगी।।
भंग धतूरा ऐ सौगात।
जय सिव संकर जय सिवरात।।
बम भोळे जय भूत बरात।
जय सिव संकर जय सिवरात।।
अंग बभूत रमाये संकर।
डम डमरू मन भाये संकर।।
नर्तक नाच नचाये संकर।
खेल्लै खेल खलाये संकर।।
जग माया ऐ इक्क वसात।
जय सिव संकर जय सिवरात।।
बम भोळे जय भूत बरात।
जय सिव संकर जय सिवरात।।
सिर गंगा गळ माल भुजंगा।
अजब गजब सब तेरा ढंगा।।
मैं माह्णू हाँ कीट पतंगा।
कट्ट चुरासी सकल कुसंगा।।
हुण अनहद बजणा ऐ नाद।
जय सिव संकर जय सिवरात।।
बम भोळे जय भूत बरात।
जय सिव संकर जय सिवरात।।
मंदर जांदे भगत प्यारे।
बिलपतरी गंगाजल चाह्ड़े।।
अज संकर घर आये स्हाड़े।
सबदे होण कबूल भनाह्ड़े।।
किरपा दी होऐ बरसात।
जय सिव संकर जय सिवरात।।
बम भोळे जय भूत बरात।
जय सिव संकर जय सिवरात।।
नवीन शर्मा
गुलेर-
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