बिना तेरे सूना मेरा घर यहाँ
खुशी खो गई तुझे खो कर यहाँ
मिटा कर मेरी आँख के तारे को
अंधेरो से है भर दिया दर यहाँ
अधूरी रही हर एक आरजू
सदा ठोकरों में रहा सर यहाँ
कहर ऐसे ढाया मेरे दिल पे अब
तेरी याद में , मैं रहा मर यहाँ
बझाये से बुझती नही प्यास ये
रहें आँखे चाहे सदा तर यहाँ
समय का चला चक्र कुछ ऐसे है
बिलखता रहा खव्हिशे धर यहाँ
( लक्ष्मण दावानी ✍ )