नमस्कार… मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं….इस रचना के साथ….
आओ मकर संक्रांति मनाएं
उठकर सुबह ब्रह्म मुहूर्त में,
करें इस दिन मकर स्नान।
प्रसाद चढ़ाकर मन्दिरों में,
बड़े चाव से करें प्रभु गुणगान।
रिवाज़ों को ज़िन्दा रखकर,
घर में खुशियाँ फैलाएं।
आओ मकर संक्रांति मनाएं।।
पाँव छूकर बड़े-बुज़ुर्गों के,
बढ़ाएं मान- सम्मान।
खिचड़ी, लड्डू, हलवा-पूरी,
खिलाएं और करें सबको दान।
आपसी मेलजोल से,
प्रेम ज्योत जलाएं।
आओ मकर संक्रांति मनाएं।।
एक-दूजे के घर जाकर,
बढ़ाएं मेल- मिलाप।
झूठ का साथ त्याग कर,
रखें मन को साफ।
दिलों से हो जाए दूर अंधेरा,
ऐसा प्रकाश फैलाएं।
आओ मकर संक्रांति मनाएं।।
लोगों से पुरानी दुश्मनी,
शिकवे गिले हरगिज़ न रखना।
जुबां से महक आए मीठी,
स्वाद मिष्ठान के ही चखना।
रूह से बरसाकर प्रेम भाव को,
नफरती अग्न बुझाएं।
आओ मकर संक्रांति मनाएं।।
रचनाकार– सुशील भारती, नित्थर, कुल्लू