सफ़र ”
आँधियाँ भी तोहफ़े लाया करती हैं ।
जब भी घर हमारे आया करती हैं ।।
चाँद सूरज ज़िंदगी सब हैं सफ़र में।
सफ़र पूरी यूँ ही हो जाया करती हैं ।।
रंगो का जादू चढ़े सिर बोलता है ।
बहुत सब्जेबाग दिखाया करती है ।।
मेहनतकशी का तोड़ होता ही नहीं ।
हर समय ये रंगें जमाया करती है ।।
ताज़ तख़्त टिकते नहीं हैं उम्र भर ।
बाजियाँ ये पलट जाया करती हैं ।।
पं अनिल