ना जाने कब क्यों
ना जाने कब क्यों
और कैसे आज वो भूल गये
मुस्कुराते हुए
मेरा दिल तोड़ गये
महसूस किया था
उस की गर्म साँस को
जिसकी गरमी
मेरे कानों वे छोड़ गये थे
ना जाने कब क्यों
और कैसे आज भूल गये
एक बार तो वो
कहना मान ले
विश्वाश से बहती है
प्यार की धारा
कैसे भूलूं मैं वो अहसास
जो मैरे दिल में जगा है
वो राह वो वो यादें
अब सूनी हो गई
वो बातें मुलाकाते
अब धुँधली हो गई
ना जाने कब क्यों
और कैसे आज वो भूल गये
राम भगत किन्नौर
9816832143