चारो तरफ दृष्टि दौड़ाऊँ,
कहीं नजर नाआती माँ।
लेकिन पथ में जब घबराऊँ,
तुरत सफर बन जाती माँ।।
माँ के वचनों की अनुगूँज,
अभी हमारे कानों में।
अन्तिम सफर में न मिल पाई,
कसक हमारे भावों में।।
Dr. Meena kumari
चारो तरफ दृष्टि दौड़ाऊँ,
कहीं नजर नाआती माँ।
लेकिन पथ में जब घबराऊँ,
तुरत सफर बन जाती माँ।।
माँ के वचनों की अनुगूँज,
अभी हमारे कानों में।
अन्तिम सफर में न मिल पाई,
कसक हमारे भावों में।।
Dr. Meena kumari
sundr ji
बहुत ही सुंदर