जिंदगी……
कुछ इस तरह से है जिंदगी
धीरे – धीरे चल कर गुजर जाती है
और हमें पता ही नही चलता
कभी अपनों से मिलन
तो कभी बिछुड़न
कभी दोस्त तो
कभी दुश्मन
कोई प्यार के नशा में चूर
कोई गृहस्थी में मजबूर
समाज के भीड़ में
कभी हँस कर कभी रो कर
जी रहे है
कुछ इस तरह से है जिंदगी
धीरे – धीरे चल कर गुजर जाती है
फिर एक दिन आती है
लटक जाती है तस्वीर हमारी
अपने पराये जो थे जी लेते है सभी
कौन तन्हा है कौन आशिक है
बस धीरे – धीरे गुजर जाती है जिंदगी
ओर हमें पता ही नही चलता है
मेरा तेरा अपना पराया
सब छोड़ कौन यहाँ है रह पाया
राजा रंक छोटा बड़ा
सब को एक दिन है जाना
बस धीरे – धीरे गुजर जाती है जिंदगी
और हमें पता ही नही चलता
राम भगत