दो घड़ी जो साथ तेरा पा लिया है
पीठ पर इक और खंज़र खा लिया है
अड़ गया जब दिल ये जिद पे देखनेको
दिल तेरी तस्वीर से बहला लिया है
बढ़ गयी है धड़कने दिल की मेरे अब
इश्क में जो तेरे दिल उलझा लिया है
रुक गयी है चाँदनी भी रूप देख कर
चाँद भी बादल में मुख छुपा लिया है
ना खुदा मुझ से न होगी अब खुशामद
अपने दिल को मैंनेअब समझा लिया है
गम नही है बे वफाई का तेरी अब
दिल से हर गम को तेरे अपना लिया है
( लक्ष्मण दावानी ✍ )
13/6/2017
आई – 11 पंचशील नगर
नर्मदा रोड़ ( जबलपुर म,प्र, )