बदलते है वक़्त के साथ ..
बदलते है वक़्त के साथ रिश्ते
अपने पराये सब पीछे छूटते
माँग के गोद से निकल कर
पिता के छांव से निकल कर
नई बस्ती नये रिश्ते में जुड़ते
बहू बेटे में तब हम जुड़ते
पति से पिता, पिता से ससुर
एक दिन बनते जरूर
प्रेमी से प्यार छूटे
प्रेमिका से दिलदार छूटे
मौज मस्ती के दोस्त छूटे
घर आंगन का फूल टूटे
साँसे छूटे शरीर एक दिन छूटे
धरती से तब सब बंधन हम से टूटे
बदलते है वक़्त के साथ रिश्ते
अपने पराये सब पीछे छूटते
फ़िर ये तकरार किस लिये
रोज का भेद भाव किस लिये
जीवन शून्य जन्म मरण का चक्र
जब तक सांसे है तब तक जीवन चक्र
मत कर इंसान रोज का लफ़ड़े
रोज बदल रहे है कफन के कपड़े
जी जी भर कर जब तक प्यार मुहब्बत में
दुनियाँ तब तेरी मुठ्ठी में
राम भगत किन्नौर
9816832143