यह गिले शिकवे तो क्या,
एक दिन हम भी मिट जायेंगे।।
गाते ,गुनगुनाते ,हंसते ,हंसाते,
तय सफर जीवन कर जायेंगे।।
गहन चर्चा होगी कर्मों की,
कहीं विरोध दर्ज न कर पायेंगे।।
गीता सार पर थमेगी चर्चा,
चाहकर भी लाँछन न लगा पायेंगे।।
गौर होगी सिर्फ नेकी पर,
रफ्तार जुर्म सब भूल जायेंगे।।
गहराई होगी हर बात कही की,
इतनी आसानी से गुनाह भूल जायेगी।।
गैरों के हजूम और अपनों की मौजूदगी,
गुनाहों भरी किताव भी जल जायेगी।।
गम किसी को तो कोई गम खुश,
शहर में खवर ए मौत फैल जायेगी।।
गमगीन कोई चल शमशान घाट पर,
रोजमर्रा के काम छोड़ पहुँच जायेगा।।
गहनता से जानेगा मौत हुई कैसे,
सिसक सिसक वोह आँसु बहायेगा।।
गुजर जायेगा दिन वो कल बन जायेगा,
गम क्युँ ,जग्गू, काल से कौन बच पायेगा।।