वो अदाओ से अपने लुभाता रहा
देख कर चाँद भी मुख छुपाता रहा
क्या बताये अदा उनके तारीफ़ की
वो गज़ल कह के अपनी बुलाता रहा
चाँद भी देख उसका जुनू -ऐ- नज़र
रात भर चाँदनी में नहाता रहा
उनके तस्वीर सिरहाने रख सोये जो
रात भर ख्वाब में वो सताता रहा
खोये थे हम खयालो में उनके मगर
मुझे बाहों में ले कर नचाता रहा
उँगलियों से मिरी जुल्फ बिखरा के वो
रात भर उन्हें फिर वो सजाता रहा
( लक्ष्मण दावानी ✍ )
6/11/2016
आई – 11 पंचशील नगर
नर्मदा रोड़ ( जबलपुर म,प्र, )