कितनी दूर है जिंदगी
कितनी दूर है ये जिंदगी
बस में चलता जा रहा हूँ
हर एक मोड़ में बैठ कर
नगमा लिखता जा रहा हूँ
कभी दूर है ये जिंदगी
कभी बिल्कुल पास
पीछे मुड़ कर देखता हूँ
तो आंसुओं का सेलाब है जिंदगी
कितनी दूर है जिंदगी
बस मैं चलता जा रहा हूँ
हर एक मोड़ में बैठ कर
नगमा लिखता जा रहा हूँ
राम भगत किन्नौर
9816832143
वाह… क्या बात है