काँच भी कोहिनूर बना दिया तुमने ।
क्या हो नहीं सक्ता बता दिया तुमने।।
हवायें भी यूँ कर देती हैं हिफाजत ।
तूफ़ान में भी दिया जला दिया तुमने।।
हौसले को तुम्हारे हर बार है सजदा ।
हासिल हौसले से दिखा दिया तुमने।।
उड़ान इतना भी मुश्किल तो नहीं।
चलो दीद से पर्दा हटा दिया तुमने।।
कोसने से मिटा नहीं है अँधेरा अनिल ।
देहरी पे इक लो सजा दिया तुमने।।
सहुत सुन्दर जी
बहुत सुन्दर जी।
बहुत खूब
बहुत खूब..