🙏🏻कोई बतायेगा 🙏🏻
कौन सदा साथ यहाँ निभायेगा ।
क्या,कोई मुझको जरा बतायेगा ।।
साँसें अपनी आस भी है अपनी ।
फ़िर कोई क्यों बेवजह तड़पायेगा ।।
मैं कोई जलता हुआ चराग़ तो नहीँ ।
जो हवाओं का झोंका बुझा जायेगा।।
कोहराम सारे शहर में फैला क्यूँ है।
क्या फ़िर फरिश्ता कोई यहाँ आयेगा।।
रहग़ुजर कब थमीं है इस जमाने में ।
जो चंद फसादों में अब थम जायेगा ।।
हौसला रख अनिल परिंदे लौटेंगे ।
अमन का बाग़ फ़िर लहलहायेगा ।।
स्वरचित
अप्रकाशित
पं अनिल
अहमदनगर महाराष्ट्र
📞 8968361211