देख रहा हूँ मैं …….
देख रहा हूँ मैं राजनीति के चेहरे
कुछ नये है कुछ पुराने
दिन भर सभी प्रचार में व्यस्त
कोई सुस्त तो कोई बहुत चुस्त
गले मिल रहे है अपने हो या पराये
हाथ जोड़ रहे है दोस्त हो या दुश्मन
काश जीतने पर भी इनकी आदत ऐसी होती
गले मिलते हाथ जोड़ते चाहे दोस्त हो या दुश्मन
रोज़ ऐसे ही गाँव गाँव दौरा करते
गाँव शहर का विकास देखते
5 साल की राजनति में नेता
शहर के चहल पहल में खो जाते है
या अपने ठेकेदारों और चमचों
का जेब भरने में व्यस्त होते है
अंतिम 5 सालों में
उद्घाटन शिलान्यास में व्यस्त रहते है
ये वक्त का कॉकटेल है
जो भी आता है वो भी यही करता है
महँगाई की मार
वीर सेनिकों की आहुति
बेरोज़गारी से परेशान नौजवान
भ्रष्टाचारा बलात्कार
किसानों की आत्महत्या
मंदिरों में जातिवाद
स्कूलों हॉस्पिटल में
सुविधाएँ कम
मंदिरों के लिये करोडों खर्च
सफाई के लिए अरबों खर्च
गंदगी हटी नहीं
प्राइवेट कम्पनियों
की रोज़ मनमानी
मैं तो कई सालों से इन सब ऐसे ही देख रहा हूँ
राम भगत
बधाई ……..
बधाई हो सभी पार्टीयों को
नामांकन में सबने अपना अपना जोर दिखाया
कार्यकर्ताओं ने भी खूब दम खम दिखाया
सबने अपने नेताओं को हौसला बढ़ाया
अब देखना है सब जनता के लिये
क्या क्या वादा ले कर आते है
देखना है कौन कितना भरोसा
जनता का जीतता है
विकास पर वोट जाता है
या झूठे वादों को दिया जाता है
अब देखना है वोट बिकता है
या नोट बिकता है
इंसान बिकता है
या इंसानियत बिकता है
बधाई हो बधाई हो
राम भगत