टेबल थपथपा कर पगार बढ़ाते हैं बोह नहीं चाहिए,
बेटी के बलात्कारियों को जो बचाते वोह नहीं चाहिए।।
बांटता रहा दरियां प्रातैं बन समाजसेवी कोई,
वोह बगुला भी सत्ता में कतई न चाहिए।।
बैठ कर विपक्ष चुप रहा, न वोह गुंगा चाहिए।
दवा कर रखे काविलयत ,वोह तानाशाह न चाहिए।।
साधु भेष मे छुपा वोह रावण भी न चाहिए।
अंधेर नगरी चोपट राजा बार बार नहीं चाहिए।।
गले लगाए जो भरी सभा बन कृष्ण सुदामा को,
ऐसा नेता दोस्तो,अब हर विधान सभा क्षेत्र में चाहिए।।
तुम सब का है प्रदेश, कमजोर मत हो जाईये।
दिखा दो ताकत अपनी, क्रांति की मिसाल जगाईये।।
जनता से बड़ा नहीं कोई लोकतंत्र में भाईयो।
इस लोकतंत्र को लुटेरों से अब तो बचाईये।।
जग्गू नोरिया