आप सब की नज़र अपनी एक नई रचना प्रस्तुत कर रहा हूँ |
उम्मीद करता हूँ की आप इसे पसंद करेंगे और अपना प्यार देंगे
मैं पक्ष न्याय का लेता हूँ |
मैं प्रबल वार कर देता हूँ ||
जो आवाजें दब जाती हैं |
मैं उनको जीवन देता हूँ ||
ना जीत करे विचलित मुझको |
ना कभी हार से डरता हूँ ||
मैं रण में योद्धाओं की तरह |
संघर्ष निरंतर करता हूँ ||
सज्जन कहते मुझको सज्जन |
दुर्जन कहें लड़ाका हूँ ||
चुप हूँ तो समझो मंगल है |
बोलूं तो बड़ा धमाका हूँ ||
तंत्र भ्रष्ट हो जाए तो |
मैं काम मंत्र से लेता हूँ ||
यदि मार्ग बचे ना शेष कोई |
फिर काम यंत्र से लेता हूँ ||
मैं नीलकंठ का अनुगामी |
मैं विष धारण कर लेता हूँ ||
यदि रिपु ना वश में आता हो |
मोहन, मारन कर लेता हूँ ||
—– डा . सुभाष चन्द्र