पाँच तत्व……..
पैड से पत्ता गिरता है
किंतु पैड फ़िर भी जीवन के लिये दोबारा तैयार है
संबन्ध टूट जायें किसी से
लेकिन उम्मीदें और होंसला फ़िर भी है एक दिन जुड़ जाते है
सुरज चाँद सितारे आग पानी और हवा
यही सत्य है जीने हम रोज़ महसूस करते है
अहंकार क्रोध और चापलूसी सब इंसान.की फितरत है
वक्त में ये सब जीवन.के पात्र बने है सबके
धीरे धीरे परिवर्तन और हालात में सब ठीक हो जाते है
और हम एक दिन मौत के करीब होते है
तब हमें पराये भी अपने लगते है
सारे सम्बन्ध फ़िर एक हो जाते है
तब हमें उन्हे समझने के लिये
और समझाने के लिये देर हो जाते है
अंत में हम वही अग्नि वायु पृथ्वी आकाश
और जल सुरज चाँद में विलीन हो जाते है
और मोक्ष से मुक्ति का द्वार खुल जाता है
और दुनियाँ और अपनों से हम दुर हो जाते है
यही सत्य है राम भगत