?ग़ज़ल
अब तो रोज़ माँ ये दुआ करे
गमे ज़िंदगी से जुदा करे
मिलेंगी हर मंजिल तुझे तेरी सभी बात माँ की सुना करे
बहुत ही माँ नाराज़ होती है
अगर तू कोई भी खता करे
मिलेंगी सजा माँ उसे इक दिन
यहाँ जो किसी का बुरा करे
यहाँ घर में सहकर सितम सभी
कभी माँ न कोई गिला करे
भुला रंजिशों को माँ कहती है
सबसे मुस्कुराकर मिला करे
निभाये सदा साथ आज़म तू
माँ से ज़िंदगी भर वफा करे
?आज़म सावन खान ?
✍सहारनपुर✍
बहुत खूब…