हे मौत तुम्हारा अभिनंदन ,
दिल से करूँ तुम्हे में वंदन !
इक बात निराली लगती है ,
जिंदगी से प्यारी कभी – 2 मौत लगा करती हैं !!
जीवन में तेरा भय न हो,
तो पापों से कोई बचा न हो !
इक तेरे नाम के डर से हे मृत्यु ,
जिंदगी जीने की हर दिन चाह बढ़ा करती है !
जिसकी यादों तुम बस्ती ,
हर पापों से उसे बचाती !
याद जिसे है अपनी मौत,
वो लोगों के जीवन से कभी खिड़वाड़ नहीं करते !
मौत सत्य है जिसको मालूम ,
वो जीवन की कीमत को पहचाने !
मानव होकर मानवता को वो जाने ,
जो जीवन में पापों का कहीं कोई बीज न बो डाले !!
सच कहता है कवि (हेमन्त) प्यारा,
जीवन और मृत्यु का खेल है न्यारा !
जिसने जीवन को न समझा ,
उसे मृत्यु ने भी नहीं उबारा !!
कवि – हेमन्त पाण्डेय ( अमेठी )
बहुत अच्छे… वाह
धन्यवाद जी