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छोटा सा जीवन
बड़ी सी आशा..!
आशाओं के भँवर में
मिलती है निराशा..!
निराशा की बजह
बनती है हताशा..!
सुखमय जीवन
दुखमय हो जाता..!
जीने का ढंग
बेढंग हो जाता..!
डूब आशाओं में
कुछ समझ नहीं आता.!
धन मन सब खो जाता
राजा फ़क़ीर हो जाता..!
आशाओं के जाल में
सब खो जाता..!
निकलते निकलते इससे
जीवन कब सो जाता…..!
|||||~~〽~~उत्तम सूर्यवंशी
किहार चंबा हिमाचल
मो. न. 8629082280