खराव कर लिया आज, कल की सोच कर,
गुनाहगार युँ बन गया, जुर्म को रोक कर।।
ले बैठा मोल दुश्मनी, नशे पर बोल कर,
पूछ नहीं पाया नाम, नशेड़ी को झंझोड़ कर।
रोक न सका उसे, गली गली शोर कर,
भागी संग प्रेमी के, वालिद जो छोड़ कर।।
किस से क्या कहें,सीना अपना खोल कर,
नमक लगाते लोग यहाँ,हम दर्द बोल कर।
कुछ याद फर्ज करवाऊँ, बोलता यही सोच कर,
बुझदिलों की संगत मिली, कहते न गौर कर।
माँ बाप पूछते गुरूओं से, कुछ सुधार कर,
बच्चे हो गये मनमाने, कुछ तो उपकार कर।
चौंह पासे नशे पसारे,रूकते नहीं बोल कर,
हर जेब में मिलेगा, देख ले टटोल कर।
कहाँ चली यह दुनिया, डरता हूँ सोच कर।
है कोई दमवाला यहाँ, दम लेगा रोक कर।
करता है वादा जो, मार थाप ढोल पर,
अवाम करे स्वागत उसका, बीच सभा बुला कर।।
जग्गू नोरिया