…दो प्रकार की तालियां ..
दो प्रकार की तालियां बजती है
एक मच्छरों के लिये और एक नेताओं के लिये
दोनों खुन चूसते है
और इंसान को बेबस कर देते है
एक बरसात में खुन ज्यादा चुसता है
और एक 5 साल जब तक शासन है
दोनों को बहुत मजा आता है
मजबूर और बेबस लोगों को सताने में
फर्क इतना है दोनों में
एक गंदगी में पलता है
और एक आलीशान
साफ सुथरा आशीयानों में पलता है
जो पाँच साल खून पी रहा है
वो पूरे देश में फैला है
और जो बरसात के दौरान खून चुसता है
वो कही कही फैला है
तालियां दोनों को बजानी पड़ती है
एक से बचने के लिये और एक से सिर्फ सुनने के लिये
और हम भी क्या करे मज़बूर लाचार
दोनों को स्वगत हर बार तालियों से ही करना पड़ता है
जय हिन्द राम भगत