सुकून की नींद..
नींद सुकून चैन अमन है
नींद कल की शुरुवात है
नींद में सपने है सपने में अपने है
नींद से जो जागा सपने से वो भागा
कोई नींद की गहराइयों में
कोई सपनों की ऊचाईयों में
कोई नींद चुरा रहा है
कोई नींद खो रहा है
किसी की तन्हाई है ये नींद
किसी की गहराई है ये नींद
कोई मिलों चल रहा है नींद में
कोई सपनों को बना रहा है बिना नींद में
किसी का मित्र है ये नींद
किसी का चरित्र है ये नींद
राम भगत क्यू नींद से भागा है
आज फ़िर इस तन्हाई में किस के लिये जागा है
सो जाओ सोने वाले सभी
नींद की गहराइयों में
कल फ़िर जागना है
किसी ना किसी को तनहाइयों में
राम भगत