.हर किसी को तकलीफ है यहाँ ..
हर किसी को तकलीफ है यहाँ
हर कोई परेशान है यहाँ
धूप को छाँव से
बादल को बरसात
आँधी को तूफान से
चाँद को काली रात से
माँ बाप को बच्चों से
बच्चों को माँ बाप से
बडो को छोटों से
छोटों को बडों
ऑफीस में बोस से
घर में बीबी से
दुकान दार को ग्राहक से
ग्राहक को दुकान दार से
प्रेमी को प्रेमिका से
प्रेमिका को प्रेमी से
नेताओं को जनता से
जनता को नेताओं से
हर किसी को तकलीफ है यहाँ
हर कोई परेशान है यहाँ
दुनियाँ गोल है आज पता चला
जब बातों में उलझ गये
बहस करना बहस सुनना
दोनों में बहुत फर्क है
कंट्रोल करना कितना मुश्किल है
सर कट जाये बस झुकना पसंद नहीं
दीवारें कि ऊँचाई बोलती है
सीधा रह कर भी सब को सुरक्षित
फ़िर आज का इंसान
इतना निर्दयी और मतलबी केसे
हर किसी को तकलीफ है यहाँ
हर कोई परेशान है यहाँ
राम भगत