सिये जाइये?
ग़म उठाइये पर जिये जाइये ।
ज़हर,अमृत कर पिये जाइये ।।
ईमान डिगे न लाख थपेड़े हों ।
चादर ज़िंदगी की सिये जाइये ।।
शरीक़े ग़म हो न हो कोई यहाँ ।
जो दे दे मुक़द्दर लिये जाइये ।।
मुद्दई भला चाहे पता नहीं भाई ।
आप तो भलाईयाँ किये जाइये ।।
साथ साया भी छोड़ जाये अनिल।
फ़िर भी दुआ ही दिये जाइये ।।
? सुप्रभातम्?
?पं अनिल?
अहमदनगर महाराष्ट्र
8968361211