अपमान कभी सहना नहीं चाहिये,
किसी के होकर रहना नहीं चाहिये।
पत्रकारिता को निष्पक्ष रहना चाहिये,
दवाब में न खवर छपाना चाहिये।
आम जन की बात को भी लीखिये,
उन्हें नजरअन्दान न करना चाहिये।
चापलूसी की पगडंडी गिरती है जरूर,
स्वतन्त्र रह कर कलम उठाना चाहिये।
खवर को खवर समझ कर लीखिये,
किसी प्रभाव में न बहना चाहिये।
कलम की ताकत खड़ग रोकती है,
समय रहते पहचान लेना चाहिये।।
जग्गू नोरिया