tribute to great indian freedom fighter
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“अब जिसका खून नहीं खोला, खून नहीं वह पानी है
जो देश के काम ना आये वह बेकार जवानी है ”
चंद्रशेखर आजाद की यह पंक्तियाँ माँ भारती के स्वतंत्रता सेनानियों के लिए बिल्कुल सार्थक सिद्ध हुई है।
बात कहाँ से शुरू करूं क्योंकि मां भारती के सच्चे सपूतों की गाथाओं की कतार बहुत लम्बी है। अब जब देश 71वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है तो आजादी के दीवानों को याद करना स्वभाविक है। एक छोटी सी चिंगारी कई बार बड़े बड़े शोलों को भड़का देती है, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम ऐसे वीरों के कारनामों से भरा हुआ है।
भारत में ऐसे कई वीर हुए जिन्होंने अपनी चिंगारी से भारत देश की आजादी के लिए मशालें जलाई। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम ऐसे वीरों के कारनामों से भरा हुआ है जिन्होंने अकेले अपने दम पर युगों को रोशन किया है जिनके बारे में सुनकर या पढकर हमें गर्व महसूस होता है।
“तुम मुझे खून दो मै तुम्हें आजादी दुंगा ”
सन् 1757 से लेकर 15 अगस्त 1947 तक भारत की आजादी के लिए जितने भी प्रयत्न किए गए, जितने भी संग्राम हुए वो सब अपने आप में अतुलनीय है।
समय समय पर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को महान योद्धा मिलते रहे जिन्होंने हसते हसते माँ भारती की अस्मिता की रक्षा और सम्मान के लिए कभी ना भूलने वाले बलिदान दिए। जिन्होंने हसते हसते अपने प्राणों की आहुतियाँ स्वतंत्रता के लिए दे दी।
“खुब लड़ी मरदानी वह तो झांसी वाली रानी थी ”
सन् 1857 में जो चिंगारी मंगल पांडे ने जलाई उसे 1947 में महात्मा गांधी जी के नेतृत्व में असंख्य महान स्वतंत्रता सेनानियों ने अंजाम तक पहुँचाया। माँ भारती को गुलामी की जंजीरों से स्वतंत्र करवाया।
“इंकलाब जिंदाबाद ”
जहां एक ओर मंगल पांडे, रानी लक्ष्मीबाई, लाला लाजपत राय, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु, खुदीराम, चंद्रशेखर आजाद, अशफ़ाक अलहा खान इत्यादि ने अपने अदम्य साहस और पराक्रम का परिचय दिया वहीं दूसरी ओर महात्मा गांधी, मोती लाल नेहरू, जवाहर लाल नेहरू, बाल गंगाधर तिलक इत्यादि ने असीम धैर्य और संयम का परिचय दिया। पराक्रम और संयम के संगम के कारण ही आज हम 71वां स्वतंत्रता दिवस मना रहे हैं। पराक्रम और संयम का यह अनुठा उदाहरण विश्व में विरला ही देखने को मिलता है।
करोड़ों देशभक्त भारतीयों ने अपने खून के ऐक ऐक कतरे से महान भारत देश की आजादी को सींचा है। नमन है इन सभी शहीदों को जिन्होंने अपनी जान की परवाह नहीं की और भारत को स्वतंत्र करवाने के लिए अपना सर्वस्व त्याग दिया
“सरफरोशी की तमन्ना,
अब हमारे दिल में है….देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल
में है ”
अब यह हमारा दायित्व है कि हम भारत देश को बुलन्दियों तक लेकर जाये। जो बलिदान महान क्रान्तिकारियों ने हमारे लिए दिये हैं उन्हें हम जाया न होने दें, माँ भारती को फिर से गुलाम न होने दें। भारत को एक बार फिर से विश्व गुरु बनाना हमारा लक्ष्य होना चाहिए। भारत की अखंडता और संप्रभुता पर हम आँच तक न आने दें। हम ऐसा कोई काम ना करें जिससे हमारे भारत देश का विश्व में अपमान हो। जिन्होंने हमें आजादी दिलवाई है उनका सिर ना झुकने दे। अपने सभी स्वतंत्रता सेनानियों का हमेशा सम्मान करें।
अगर हम अपने देश के लिए कुछ करना चाहते हैं तो हमें खुब मेहनत करनी होगी, हमें करमठ बनना होगा। हमें “आराम हराम है ” इस मूलमंत्र का अनुसरण करना होगा और यह सब सोचने से कुछ नहीं होगा, अपनी सोच को व्यवहारिक रूप देना ही होगा तभी हम अपने देश के लिए कुछ कर पायेंगे।
अंत में मैं बस यही कहना चाहता हूं :
” सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तान हमारा
हम बुलबुले है इसकी ये गुलसिता हमारा ॥
घुर्बत मे हो अगर हम रहता है दिल वतन मे
समझो वही हमे भी दिल है जहाँ
हमारा ॥”
जय हिंद, जय भारत
वंदे मातरम।
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लेखक
अजय
Very nice story …Ajay best wishes
आभार भाइ जी
जय हिंद..
Jai Hind, Jai Bharat
vande matram