मेरी एक ताजा ग़ज़ल आपसब की नजर
ग़ज़ल
आखोँ में ख़्बाव कोई सजाया न जायेगा
अब आंसुओं में खुद को डुबाया न जायेगा
जल जल के हम धुआँ हुये उल्फ़त की आग में
शोला -ए-इश्क़ दिल में जलाया न जायेगा
हर सांस पर भी नाम तो उनका लिया सदा
सांसों से शोर अब ये उठाया न जायेगा
यह ग़म की काली रात जो ढ़ल ही नहीं सकी
इस तीरगी के डर को भुलाया न जायेगा
ये महफिलें ये रौशनी मंजिल नहीं मेरी
मन रौनकों के नाते निभाया न जायेगा
दुनिया से अब लो सारथी गुम ही तो हो चली
अब बारहा जहां में तो आया न जायेगा।
मोनिका शर्मा सारथी
बेहत्तरीन
sundr ji
बहुत खूब…