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कैसा यह तूफान हे कृष्णा,
जीवन ज्यूँ संग्राम हे कृष्णा।
मारा मारी आपा धापी,
पल भर ना आराम हे कृष्णा ।
गोप ग्वाला छोरा छोरी,
घोड़े बेलगाम हे कृष्णा।
मटकी खाली खाली सबकी,
पनघट पर सुनसान हे कृष्णा।
आज हुए रणछोड़ बहादुर,
भूले तीर कमान हे कृष्णा।
शंकर शीश सुहाए गंगा,
पर होता मधुपान हे कृष्णा।
मेरा तेरा खूब बढ़ा है,
होता है अपमान हे कृष्णा।
यमुना यम हैं आज कलंकित,
धधक रहे शमशान हे कृष्णा।
फिल्मी गीत सुहाएँ सुंदर,
बिसरा गीता ज्ञान हे कृष्णा।
कर्म किए बिन फल की इच्छा,
करता है इंसान हे कृष्णा।
आगे पीछे जीते जीते,
खिसका वर्तमान हे कृष्णा।
अब तो सुध लो बनवारी हे,
भारत बने महान हे कृष्णा।
आज “नवीन” बना मूर्ख क्यों,
छैड़ो मुरली तान हे कृष्णा ।
नवीन शर्मा ‘नवीन’
गुलेर-कांगड़ा(हि०प्र०)
176033
?9780958743
बहुत अच्छे… जय हो…