ऐसा है अब जीवन मेरे कान्हा..
उठते है रोज सब सबेरे
ना भजन ना कीर्तन है
ना योग ना सैर है
सबसे पहले हाथों में ये मोबाइल है
बेटरी दिमाग की फुल हो या ना हो
मोबाईल की बेटरी बस रोज़ फुल हो
ऐसे है जीवन अब मेरे कान्हा
प्रजा तंत्र से राज़ तंत्र हो गया
चिठि पत्री से देश पिछे छुट गया
दूर संचार ने नया युग ला दिया
बहुत सुविधायें अब हो गई है कान्हा
अब तेरी आरती भी रोज़ चलती फ़िरती हो गई
महँगाई बेरोज़गारी तो ऐसी है
जेसे अब दुकान ही खुल गई हो
नेताओं के भाषण और जनता का राशन
पता नही चलता है दुकान में भीड़ है या मैदान में
ऐसा है अब जीवन मेरे कान्हा
रोज़ रोज़ तेरी तस्वीर पोस्ट होती
लगता है फ़ेसबुक whtsup भी
अब मंदिर से बढ़ कर हो गया
सारे भक्त मानो यही अब इकठ्ठा हो गये हो
तेरी आरती भी चुन चुन कर सब पोस्ट करे
देश में रोज़ वीर सेनिकों की आहुति लग रही है
राज़ नेताओ की तिजोरी बस भर रही है
आज भी अमीर अमीर है गरीब गरीब है
फ़िर भी जीओ जीओ देश का no 1 है
तेरी बाँसुरी की धुन में नाचे गौ गोपाल
जीओ ने नचाये है यहाँ भारत नेपाल
ऐसा है अब जीवन मेरे कान्हा
ऐसा है अब जीवन
राम भगत !