सौ जाते हो…..
तेरे आने से मन आज हल्का सा हुआ है
रिश्तों की डोरी है ये बंधन मज़बूत हुआ है
अजब है तेरी आँखों का नूर
दिन भर खल बलि मचा लेता है
सुना है तेरे चाहने वाले अब भी बैचेन हुवे है
तेरी एक दिदार पर अब भी वे तरसे हुवे है
मगर वो शहर जो प्यासा रहा है
जहाँ आज भी हमारे किस्से है
पिछली बातें मुलाकातें आज भी याद आ रहा है
किसे ढूँढोगे तुम मुझको या उन लम्हों को
जब हम मिले नहीं थे अभी
चलो अब बोल दो किस को चाहोगे
एक तन्हाई सी हुई है आज दिल मे
जब तुम चुप हो जाते हो पूछने पर
और सौ जाते हो गहरी नींद में
सवालों को किस्सा खोल कर
राम भगत
बहुत अच्छे…