तुम्हारी शरण ?
दाता तुम्हारी शरण हूँ , जाऊँ कहाँ दर छोड़ के।
द्वारे खड़ा कर जोड़ के , द्वारे खड़ा कर जोड़ के।।
तृष्णा की झोली मेरी भरी नहीं आज तक ।
देते तुम्हारे हाथ थके नहीं आज तक ।।
अब ठुकराना नहीं साँवरे, जाना नहीं मुख मोड़ के ।
द्वारे • • •
काया थकी है मन लोभ का डेरा ।
काटिये जनम जनम का फेरा ।।
दुनिया के नातों ने नाथ जी, रख दिया जीवन तोड़ के ।
द्वारे खड़ा • • • • •
?सुप्रभातम् ?
?पं अनिल?
अहमदनगर महाराष्ट्र
? 8968361211