इक अम्मा थी एक बहुत ही शानदार पहाड़ी कविता संग्रह है। हमारे भारत का खजाना के नायाब हीरे जाने माने कवि श्री सुरेश भारद्वाज जी द्वारा लिखित। इक अम्मा थी एक चर्चित पहाड़ी काव्य संग्रह है जो आपको अपने आसपास के परिवेश से रु बु रु करवाता है।
चल अम्मा चल्लिये
अम्मा तेरा टप्परु
लगी पेया हुण बिकणा
पता नी कुनी लैणा
मुल्ल पौणा कितणा।
थम्मियां दास्से बिकी जाणे
बिकी जाणे सलेट
दरबाजे झारने सारे बिकणे
बिकी जाणा गेट।
जालिम बड़ा खरीददार
तिन्नी दैणा टप्परु ढाई
कख्खां साई बिकी जाणी
अम्मा तेरी कमाई
बिकी जाणियां पट्टियां तेरियां
बिकी जाणा भेड़ा
खड़ियां कंधां बिकी जणियां
बिकी जाणा बेह्ड़ा।
बिकी जाणे खिंद खंदोलू
बिकी जाणियां रजाईयां
भान्डा बर्तण सारा बिकणा
बिकी जाणियां तलाईयां।
मंजे तेरे बिकी जाणे
बिकी जाणी पेट्टी
टुटेया भज्जेया समान तेरा
सुटणा ए तिन्नी भेट्ठी।
कंधा जाह्लु ढैह्णियां
बड़ी गड़गड़ होणी
मकाने दी सारी मिट्टी
खूव लोकां ढोह्णी
नां रेहणी तेरी जिम्मी
ना रेहणा तेरा नां
अम्मा! सब किछ मुकी जाणा
नी तेरा अपणा रेहणा ग्रां।
सुरेश भारद्वाज निराश
ए-58 धौलाधार कलोनी लोअर बड़ोल
पीओ दाड़ी धर्मशाला हिप्र
176057
मो० 9418823654
ऐसी ही सुंदर रचनाओं और रोचक जानकारी के लिए जुड़े रहे हमारे साथ ओर पढ़ते रहे हमारी ऑनलाइन पत्रिका।
बहुत बहुत आभार आशीष जी/भारत का खजाना।
नमन।
बड़ा छैल चित्रण
बहुत खूब…. शानदार..
आभार परिमल जी
आभार संजीव जी।