निर्मल नील नीर है साईं
प्रसाद जैसे खीर है साईं
कण-कण मैं पाऊं तुमको
रब जैसा तू फकीर है साईं
मैं चरणों की धूल तुम्हारे
और मेरी तकदीर है साईं
जो झुका तेरे दर दिल से
हर शख्श हुआ पीर है साईं
मन की डोर तुम्हारे हवाले
तुझे हरनी हर पीर है साईं
मानस चोला सफल हो गया
मिला तुमसे जब वीर है साईं
वीरेन्द्र शर्मा वीर
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जय हो…