अपना माना है………
खाली पन्नों में तुमको अपना माना है
कब तुम अपने होंगे ये नहीं जाना है
एक पल बात जब तुम करते हो
सब कुछ भूल जाता हूँ
क्या जादू है तुम में
मैं खींचा चला आता हूँ
मत तरसाओ अब तो आज भी अकेला हूँ
तन्हाई से नाता जुड़ा है तुम्हारे बिना अकेला हूँ
मासूमियत सा चेहरा आज भी याद है
वो तुम्हारा रुठना और मैरा मनाना आज भी याद है
खाली पन्नों में तुमको अपना माना है
कब तुम अपने होंगे ये नहीं जाना है
राम भगत