प्रभु के चरणों में…..
प्रभु तेरे चरणों में आना चाहता हूँ
सुमिरन दिन रात तेरा ही करना चाहता हूँ
माया के इस माया नगरी से दूर
दुनियाँ की द्स्तूरो से दूर जाना चाहता हूँ
दिल दिमाग में सिर्फ मोह और माया है
प्रभु तुने क्या ये दुनियाँ बनाया है
रात दिन आलस से भरा है ये शरीर
ना जाने कैसी है मेरी तकदीर
टूट गया हूँ मैं दुनियाँ के इस भीड़ – भाड़ में
सब कुछ खाली – खाली लगता है
प्रभु तेरे इस संसार में थक गया हूँ
बस एक बार तेरे चरणों में आना चाहता हूँ
सुमिरन दिन रात तेरा ही करना चाहता हूँ
अपनी किस्मत को तेरे आशीर्वाद से पाप मुक्त चाहता हूँ
बस एक बार ले लो मुझे भी
अपने चरणों का दास बनाओ
मैरे अँधेरे जीवन को तुम
साकार बनाओ
बस अपने चरणों में मैरे लिये भी
प्रहलाद जैसे शिष्य बना लो
धन्य है वे लोग जो दिन रात सुमिरन करते है
तेरे द्वार में आने का रोज़ बहाना ढ़ूंढ़ते है
प्रभु तेरे चरणों में आना चाहता हूँ
सुमिरन दिन रात तेरा ही करना चाहता हूँ
ॐ शांति
राम भगत
ऊँ शांति….