1) मुझे नींद की इजाज़त भी उनकी यादों से लेनी पड़ती है,
जो खुद आराम से सोये हैं मुझे करबटों में छोड़ कर।
2) एक रिश्ता जो मुँह बोला था
उसका भी तुमने तिरस्कार किया
छोड़ कर दुर चले गये……
ये कैसा तुम्हारा प्यार हुआ…..
3)प्यास दिल की बुझाने वो कभी आया भी नहीं,
कैसा बादल है जिसका कोई साया भी नहीं,
बेरुखी इससे बड़ी और भला क्या होगी,
एक मुद्दत से हमें उसने सताया भी नहीं।
4) दुनिया ने हम पे जब कोई इल्जाम रख दिया,
हमने मुकाबिल उसके तेरा नाम रख दिया,
इक ख़ास हद पे आ गई जब तेरी बेरुखी,
नाम उसका हमने गर्दिशे-अय्याम रख दिया।
5) गजब का प्यार था… उसकी उदास आँखो में,
महसूस तक ना होने दिया कि वो छोड़ने वाला है।
शायर
अजय
5……ज्यादा अच्छा लगा।
thanks sir…..dil see nikle hue alfaz h yeh
बहुत बढिया
बहुत खूब…
वाह
धन्यवाद आप सभी का