गजल / दिली यारी
आवाज दे रही हैं ये राहें कि सफर जारी रखो
मुश्किल डगर के वास्ते हौसले भी भारी रखो.
है आफताब को आईना दिखाने का जुनून तुम्हे,
तुम सीने में हर लम्हा इक जलती चिंगारी रखो.
यूं तो बिक जाते हैं यहां सब बेबसी के मोल में,
खुद को जिंदा कहने को जिंदा खुद्दारी रखो.
नीयतें और सीरतें ही हर शख्स की पहचान हैं,
दुनिया में तुम सूरतें चाहे गोरी या कारी रखो.
आसमां को छूने की ख्वाहिश अगर तुम्हे है बडी,
पक्का तजुर्बा दूर तक उडने की तैयारी रखो.
देख यहां हर कोई तेरा है अपना और बेगाना भी,
हर शख्स के दर्दो गम से तुम दिली यारी रखो.
धीरज गर्ग (हर्फजादे)
ग्वालियर, म. प्र
मो. 9479243659