©” मेरे लिए रास्ता नहीं ” . .
कितना बाक़ी है सफ़र पता नहीं।
किसी पे कुछ भी असर होता नहीं।। . .
किसके हिस्से में पड़ूगा मैं यहां।
खप गया मेरा मगर हिस्सा नहीं।। . .
बात वह रहती नहीं है उम्र भर।
आंखों में भी जोर जबर बचा नहीं।। . .
ढोते-ढोते थक गए नफ़स सारे।
वो कहते हैं मैंने खबर किया नहीं।। . .
चलूं आखिर किस तरफ़ ऐ अनिल।
मेरे लिए जैसे डगर रास्ता नहीं।। . .
पंडित अनिल अहमदनगर महाराष्ट्र
8968361211