दिन प्रतिदिन बढ़ती बलात्कार की घटना के बाद एक बेटी भगवान से क्या शिकायत करती है पढ़िए ये कविता
भारत माँ की बेटी हूँ
डरी सी हूँ ,सहमी सी हूँ,
भारत माँ की बेटी हूँ।
नोच रहे हैं दरिंदे मुझको,
डर डर कर मैं भाग रही हूँ।।
आ जाते तब तुम कृष्ण बनकर
द्रोपदी की ही क्या चीख सुनी थी?
बेटी हूँ मैं भी,
फिर क्यों तेरे दर पर ही शैतानों ने नोची थी,
सुनी नही थी पुकार तूने ,
आवाज मेरे कण्ठ से भी तो निकली थी,
पूछ रही है बेटी तुझसे ,
पत्थर के भगवान पत्थर बनकर क्यों बैठे रहे?
नोच रहे थे मुझको दरिंदे
क्यों आंखे मूंद तुम खड़े रहे, क्यों आंखे मूंद तुम खड़े रहे?
आशीष बहल
चुवाड़ी जिला चम्बा
पढ़िए चम्बा के प्रसिद्ध सूही माता मंदिर की पूरी कथा भारत का खजाना में।