“दूर देश में भाई”
मैं परदेस में बैठा बहना ,
सूनी रही कलाई।
क्यों प्यारी बहनों को इस दिन, याद न मेरी आई।
तिलक लगे ओरों के माथे, राखी सजी कलाई।
दूर हो गया दिल से भी क्या, सोचे छोटा भाई।
न चन्दन न कंकण मोलि, चिट्ठी भी न आई।
न जाने क्या सोच के बहना, रीत पुरानी पाई।
हो सकता है आपके मत न, यह त्योहार जरूरी।
बदले हुए हालात में शायद, आपकी भी मजबूरी।
राखी के इस पावन दिन, मैं यह बचन दिलाऊँ।
सांस रहे जब के तक सीने में, अपना धर्म निभाऊं।
कुलभूषण व्यास शिमला 9459360564